सम्भागायुक्त के स्पष्ठ निर्देश जनसुनवाई, सीएम हेल्पलाइन और एलएसके पर प्राप्त आवेदनों का समाधान सर्वोच्च प्राथमिकता रखें

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*सम्भागायुक्त के स्पष्ठ निर्देश जनसुनवाई, सीएम हेल्पलाइन और एलएसके पर प्राप्त आवेदनों का समाधान सर्वोच्च प्राथमिकता रखें*
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*नागरिकों की समस्या से जुड़े कार्यक्रमों में जिला और अनुविभागीय अधिकारियों की हो सक्रिय भूमिका*
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*योजनाएं जो नागरिकों के जीवन मे बदलाव आये, विभाग का दायित्व धरातल पर लाएं*

इंदौर, 16 अक्टूबर 2025
इंदौर संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने आज खरगोन में समीक्षा बैठक में निर्देश दिए है कि नागरिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए जिला और अनुविभागीय अमला सक्रिय भूमिका में रहें। साथ ही नागरिकों की समस्याओं से जुड़े कार्यक्रम जैसे- जनसुनवाई, सीएम हेल्पलाइन और लोक सेवा गारंटी अधिनियम में प्राप्त आवेदनों के निराकरण के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रखें। इन कार्यक्रमों पर शासन पूरी निगरानी कर रहा है। शासन का सर्वोच्च कार्य जनता की समस्याओं का समय पर निराकरण करना निर्धारित भी है। इसलिए कोई भी अधिकारी नागरिकों की शिकायतों, समस्याओं को हल्के में न ले। जनसुनवाई के दौरान जिला और अनुविभागीय अमला भी अनिवार्य रूप से मौजूद रहे। सभी विभाग सुनिश्चित करे कि जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाईन पर प्राप्त शिकायत या समस्या का यथासंभव त्वरित रूप से निराकरण करें, यदि पेचीदा मामला है या जांच आवश्यक है तो भी निराकरण कराने के पीछे लगे रहें लंबित किसी भी स्थिति में न रहने दें।

*शासन की योजनाएं नागरिकों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए*

सम्भागायुक्त डॉ. खाड़े ने 10 विभागों की प्रमुख योजनाओँ की समीक्षा करते हुए कहा कि शासकीय योजनाएं नागरिकों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए है। इसी मंशा के साथ कार्य किया जाना चाहिए। इसके लिए विभागीय अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि विभाग की योजनाओँ को धरातल पर उतारें। विभागों को प्राप्त लक्ष्य कई बार नजर अंदाज कर दिया जाता है, लेकिन ऐसा न हो किसी व्यक्ति को लाभ दिलाने से उनके परिवार पर असर पड़ता है। इसलिए अपनी पूरी लगन के साथ कार्य मे जुटे। सम्भागायुक्त डॉ. खाड़े ने राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला बाल विकास, कृषि, जनजाति कार्य विभाग और पीएचई के जल जीवन मिशन के कार्यो की समीक्षा की।

*महिलाओं और बच्चों के उपचार में डेटा महत्वपुर्ण*

सम्भागायुक्त डॉ. खाड़े ने महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि शासन महिलाओं और बच्चों के उपचार को लेकर कई योजनाएं संचालित हो रही है। इन सभी योजनाओँ में वास्तविक और सही डेटा अत्यधिक महत्व रखता है। इसलिए जब भी विभाग के अमले द्वारा गर्भवती महिलाओं और बच्चों की समय-समय पर होने वाली जांच का सही-सही रिकार्ड दर्ज कराए और संधारित रखें, जिससे जांच करने वाले डॉक्टरर्स को आसानी हो। आरबीएसके की टीम से बच्चों का चिन्हांकन अवश्य करवाये, जिससे बच्चो का ऑपरेशन और अन्य उपचार शासन की योजनाओं के द्वारा किया जा सकें।

*अधिकारी-कर्मचारी मिशन कर्मयोगी का प्रशिक्षण अवश्य प्राप्त करें*

संभागयुक्त डॉ. खाड़े ने बैठक में मिशन कर्मयोगी की समीक्षा करते हुए कहा कि मिशन कर्मयोगी प्रशिक्षण देने के लिए सरकार का एक बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म है। समस्त शासकीय विभागों के अधिकारी-कर्मचारी को मिशन कर्मयोगी का प्रशिक्षण लेकर अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाये।

बैठक में खरगोन कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल, जिला पंचायत सीईओ श्री आकाश सिंग, अपर कलेक्टर श्रीमती रेखा राठौर, वनमण्डलाधिकारी खरगोन एवं बड़वाह, सहायक कलेक्टर श्री फरहान सहित समस्त एसडीएम, जनपद पंचायतों के सीईओ एवं सीएमओ सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

*बैठक में इन बिंदुओं/विषयो पर भी दिए निर्देश*

• सीमांकन के कार्य को एसडीएम स्वयं फील्ड पर जाकर निरीक्षण करें तथा पटवारियों को सीमांकन में समस्या आने पर उसका निराकरण करें।
• नामांतरण, बंटवारा एवं सीमांकन के प्रकरणों के आवेदन लोकसेवा केन्द्र के माध्यम से ही लिये जाये तथा प्रकरण का निराकरण 3 माह से अधिक पेंडिंग न हो।
• जिले में कृषि एवं उद्यानिकी का विस्तृत क्षेत्र है, अधिकारी विशेष कार्ययोजना बनाये जिससे कि जिले को कृषि एवं उद्यानिकी फसलों का हब बनाया जाये।
• जल जीवन मिशन के तहत जो योजनाएं हेण्डओवर हो गई है और वर्तमान में संचालित है। उन ग्रामों में समूह की दीदीयों के माध्यम से जलकर की वसूली करवाई जाये, जिससे कि योजना का रख-रखाव बेहतर ढंग से हो सकें।
• स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य केन्द्रों पर एमएलसी की जानकारी ऑनलाईन पोर्टल पर अनिवार्य रूप से दर्ज करें, ऐसा नहीं करने वालों का वेतन रोकने की कार्यवाही की जाए।
• कुपोषित एवं अति गंभीर कुपोषित बच्चों की नियमित मॉनीटरिंग की जायें, उन्हे एनआरसी में भर्ती करवाया जाये एवं उनकी प्रगति की मॉनीटरिंग की जायें। हर तीन माह में यह देखा जाये कि कितने बच्चे कुपोषण से सामान्य श्रेणी में आये है।

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